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लम्हा जुदाई का

ये जो लम्हा है जुदाई का,
मुझे इस लम्हे से शिकायत है,
उस पर तेरा यूं खामोश रहना,
और हौले से मुस्कुराना,उफ़्फ़,कयामत है।


पर तेरी मेरी मुलाकात में साथी,
कुछ बातें रह गई होंगी बाकी,


शायद इसीलिये फलक से बूंदे बरस रही हैं,
जल्दी नही, अब कह दो,जो बातें नहीं कही हैं,
जो थम गई बारिश तो जाना होगा,
अभी वक़्त भी है मुनासिब,और मौका भी सही है।


❤️    💛    ❤️     💛     ❤️      💛      ❤️

        
           प्रीति ताम्रकार
            जबलपुर(मप्र)

   7
4 Comments

Gunjan Kamal

14-Sep-2021 06:00 AM

Bahut khoob

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Yug Purush

14-Sep-2021 05:37 AM

Nice one 🙏

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Zakirhusain Abbas Chougule

14-Sep-2021 12:37 AM

Nice

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